Monday, May 26, 2014

वो सर्दी मे पानी की बौछारों मे,
वो सडको पर चौराहों मे,
फिर गर्मी की तपती धूप में,
तिहाड के चार-दीवारों मे।

लाठी खायी, डंडे झेले,
अपमान के हर मंजर झेले,
आज साथ खडे है बस कुछेक,
टूटते उम्मीद के दरारों मे।

तू हार नही मानेगा तय है,
तू आजीवन लडेगा तय है,
कोई साथ तेरा दे ना दे मगर,
हम साथ है तेरे है हारों मे।

एक दिन जीतेगा तू है पता,
तू लडता रह, हम साथ सदा,
सत्य झेलेगा दुख लाख मगर,
एकदिन हारेगा झूठ हजारों मे।

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