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Monday, January 7, 2013

लगता है फिर से चुनाव आने वाला है


वो आये थे पांच साल पहले इधर, एक बार फिर से इसी ओर चले आ रहे है।
उनके चेले-चमचे हर गली में हर दीवार पर उनकी फोटो चिपका रहे है।
हर चौराहे हर नुक्कड़ पर चाहुओर गूंज रहे है उनके ही जयजयकार के नारे,
अब तो हर बजते लाउडस्पीकर पर उनकी तारीफों के ही बादल छा रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे है।।

पुराने वादे बड़ी बेशर्मी से दांते निपोड़ कर दोहराए जा रहे है।
उसमे कुछ नए वादों का पुलिंदा भी गाहे बगाहे जोड़ते जा रहे है।
सबको रोज़गार का जरिया मुहैया कराने का सब्ज-बाग भी दिखा रहे है।
सफ़ेद झूठ के मनमोहक चादर में अपनी नाकामी को नायाबी से छुपा रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे है।।

गरीबो का गेंहू और रेलवे की पटरी तो बहुत ही छोटी चीज़ है साहेब,
हमारे होनहार नेताजी तो जानवरों का चारा भी बिना डकार लिए खा रहे है।
UPS का मतलब SWISS BANK में UNINTERRUPTED PAISA SUPPLY बता रहे है।
सरकारी ज़मीन इनकी अपनी जागीर है, ये तो विकलांगो की बैसाखी भी चबा रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे है।।

शहर में बलात्कार होने पर टीवी पर LIVE आकर आंसू बहा रहे है।
प्रदर्शन कर रहे लोगो पर water-cannon और और लाठिय बरसा रहे है।
संसद में गली-गलौज से काम न बने तो एक-दूजे पर टेबल-कुर्सी भी चले रहे है।
फिर भी हर बात पर संसद की गरिमा और मर्यादा को सर्वोपरि बता रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे है।।

कानून व्यवस्था और नागरिक सुरक्षा तो खैर है ही किताबी बातें,
बिना सुनवाई के बिहारियों को हर फसाद की जड़ बता रहे है।
कभी लडकियों की स्कर्ट पर तो कभी मोबाइल फ़ोन पर बैन लगा रहे है।
नए ज़माने के smartphone पर विधानसभा में “धार्मिक” फिल्मे चला रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे है।।

Frustration में विपक्ष के नेता भी उल-जुलूल कुछ भी बके जा रहे है।
विपक्ष के नेता में होने के नाते सत्ता पक्ष को गलियाने का परम-कर्तव्य निभा रहे है।
नारी को सीता का रूप बताने वाले, लक्ष्मण-रेखा का महत्व भी बता रहे है।
“भारत” और “इंडिया” में मूलभूत अंतर परिभाषा सहित समझा रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे है।।

नए-नवेले मंत्रीजी सबकी पोल खोलते, अनशन-प्रदर्शन करते हुए नज़र आ रहे है।
कभी विपक्ष अध्यक्ष तो कभी कानून मन्त्री की सच्चाई जनता को बता रहे है।
राष्ट्रीय दामाद सरकारी जमीन पर उधार के पैसे से फर्जी कंपनिया बना रहे है।
पूछने पर देश को “Banana Republic” और जनता को “मैंगो-मैन” बता रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे।।


गृह-मन्त्री प्रदर्शनकारियों को भीड़ और आतंकवादियों को “श्री हाफिज जी” बता रहे है।
देश के युवा नेता समय-समय पर दलितों के घर की दाल-रोटी पचा रहे है।
आज्ञाकारी प्रधानमंत्री जी विदेशी “मैडम” की आज्ञा से सर्कार चला रहे है।
“पैसे पेड़ पर नहीं उगते है” मुहावरे का पाठ देश की जनता को पढ़ा रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे ।।

मंदिर-मस्जिद के नाम पर हिन्दू-मुस्लमान को गुजरात में आपस में लड़ा रहे है।
बम्बई में राजनीती चमकाने के लिए बिहारियों को नफरत का शिकार बना रहे है।
पांच सालों में इन्हें कभी किसी का दुःख-दर्द बांटने की फुर्सत नहीं मिली,
आज वोट के लिए कही गांधी-छाप नोट तो कही दारु बाँटते नज़र आ रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे।।

इस बार नेता जी आयेंगे तो हम मांगेंगे इनसे पिछले पांच सालो का हिसाब।
कहा लगाया पैसा हमारा, क्या क्या काम , हर पैसे का ब्यौरा दीजिये जनाब।
काम अच्छा हुआ तो सुभानअल्लाह, वर्ना इस बार नेताजी संसद नहीं जा रहे है।
हमने भी कसम खाई है, चाहे कुछ भी हो, अच्छे नेता को वोट देने जरुर जा रहे है।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे।।
लगता है फिर से चुनाव आने वाला है, नेताजी फिर से हमारी गली में आ रहे।।

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